आजकल के ज़माने में सब अपने लिए "Perfect" ही होते हैं, कोई भी अपने आप को किसी से कम नही समझता हैं। आखिर वहाँ बात अपने "Ego" या यूँ कहे अपने "अहम", "मैं" पर जो आ जाती है कि "मैं तो किसी से कम नहीं हूँ"।
हमको हमेशा सिखाया ही ऐसा जाता हैं कि हमें अपने आप को किसी से कम समझना ही नहीं है। हमारे लिए सही हैं तो हम ही सही है वरना फिर सामने वाला गलत है।
मैं भी किसी से कम नहीं हूँ.... हाँ यह बात भी सच हैं, बेशक मैं गलतियां करती हूँ, कुछ काम मुझसे सही से नहीं हो पाते जो दूसरे बिल्कुल आराम से कर लेते हैं। मगर इसका मतलब यह भी नही है कि मैं वो काम कर नहीं सकती या वो काम मुझसे होगा ही नहीं। मैं कभी भी हार नहीं मानती हूँ और दूसरे के मुकाबले खुद को कम तो बिल्कुल भी नहीं समझती हूँ। दुनिया चाहे जो भी कहे, चाहे मुझे कितने भी ताने सुनने को मिले, अगर मुझे कुछ हासिल करना हैं तो मैं वो करके रहती हूँ।
मैं "perfectly perfect" तो नही हूँ मगर मैं किसी से कम भी नही हूँ।
Sivika mishra
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